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 (म.न.149) अगर एक इंसान किसी को कोई नजिस चीज़ खाते या नजिस लिबास में नमाज़ पढ़ता देखे तो उसे इस बारे में बताना ज़रूरी नही है।

(म.न.150) अगर किसी इंसान के घर का कोई हिस्सा या क़ालीन वग़ैरह नजिस हो और उस के घर आने वाले किसी मेहमान का बदन या लिबास या और कोई चीज़ तर होने की हालत में नजिस जगह से जा लगे तो उससे इसके नजिस होने के बारे में बताना ज़रूरी नही है।

(म.न.151) अगर मेज़बान को खाना खाने के दौरान पता चले कि खाना नजिस है तो मेज़बान के लिए ज़रूरी है कि मेहमानों को इसके बारे में बताये। लेकिन अगर मेहमानों में से किसी को खाने के नजिस होने का इल्म हो जाये तो उसके लिए ज़रूरी नही है कि वह दूसरों को इस बारे में बताये।

(म.न.152) अगर किसी से इस्तेमाल के लिए माँगी हुई कोई चीज़ नजिस हो जाये या किसी को अपनी नजिस चीज़ माँगी दे और जानता हो कि लेने वाला इस चीज़ को खाने पीने में इस्तेमाल करेगा, तो उससे उस चीज़ के नजिस होने के बारे में बताना वाजिब है।

(म.न.153) अगर कोई ऐसा मुमय्यज़ बच्चा जो अच्छे बुरे में तमीज़ करता हो किसी चीज़ के बारे मे कहे कि यह नजिस हो गई है या कहे कि मैनें इस चीज़ को पाक कर लिया है तो उसकी बात का एतेबार किया जा सकता है।

मुतह्हेरात (पाक करने वाली चीज़ें)

म.न.154) ग्यारह चीज़ें ऐसी हैं जो निजासत को पाक करती हैं और इनको मुतह्हेरात कहा जाता है।

1) पानी 2)ज़मीन 3) सूरज 4) इस्तेहालह 5) अंगूर का सिरका बना जाना 6) इंतेक़ाल 7) इस्लाम 8) तबइय्यत 9) ऐने निजासत का ख़त्म हो जाना 10) निजासत खाने वाले हैवान का इस्तबरा 11) मुसलमान का ग़ायब होना

इन मुतह्हेरात के बारे में तफ़्सीली अहकाम आने वाले मसअलों में बयान किये जायेंगे।

पानी-

(म.न.155) कुर पानी चार शर्तों के साथ नजिस चीज़ को पाक करता है।

1) पानी मुतलक़ हो- मुजाफ़ पानी से कोई नजिस चीज़ पाक नही होती।

2) पानी पाक हो।

3) नजिस चीज़ को धोते वक़्त पानी में निजासत का रंग , बू या ज़ायक़ा बाक़ी न रहे।।

4) नजिस चीज़ को पानी से धोने के बाद उसमें ऐने निजासत के ज़र्रे बाक़ी न रहे। अगर नजिस चीज़ को क़लील पानी से पाक किया जाये तो इन चार शर्तों के अलावा कुछ शर्ते और भी हैं जिनका ज़िक्र बाद में किया जायेगा।

(म.न.156) नजिस बरतनों को क़लील पानी से तीन बार धोना चाहिए। लेकिन कुर व जारी पानी में एक बार धो लेना काफ़ी है। लेकिन जिस बरतन को कुत्ते ने चाटा हो या उससे पानी या कोई दूसरी बहने वाली चीज़ पी हो उसे पहले पाक मिट्टी से माँझना चाहिए, माँझने के लिए मिट्टी में इतना पानी भी मिलाया जा सकता है कि वह गारा न बनने पाये, बाद में क़लील पानी से दो बार धोना चाहिए और एहतियाते वाजिब यह है कि अगर कुर या जारी पानी में उस बरतन को धो रहे हैं तो तब भी दो बार ही धोना चाहिए। लेकिन बारिश के पानी में एक बार धो लेना ही काफ़ी है। इसी तरह अगर किसी बरतन में कुत्ते की  राल गिर जाये तो एहतियाते वाजिब यह है कि उसे धोने से पहले मिट्टी से माँझना चाहिए।

(म.न.157) अगर किसी बरतन को कुत्ता चाट जाये और उसका का मुँह इतना तंग हो कि उसे किसी भी तरह मिट्टी से न माँझा जा सकता हो तो वह पाक नही हो सकता।

(म.न.158) अगर किसी बरतन को सुअर चाट ले या उसमें से कोई बहने वाली चीज़ खा पी ले तो उसे क़लील पानी से सात बार धोना चाहिए और एहतियाते वाजिब यह है कि कुर या जारी पानी में भी सात बार ही धोना चाहिए। लेकिन उसे मिट्टी से माझना ज़रूरी नही है। बस एहतियाते मुस्तहब यह है कि ऐसे बरतन को भी, धोने से पहले मिट्टी से मानझना चाहिए।

(म.न.159) अगर कोई बरतन शराब से नजिस हो जाये तो उसे क़लील पानी से तीन बार धोना ज़रूरी है और बेहतर यह है कि उसे सात बार धोया जाये।

(म.न.160) अगर एक ऐसे बरतन को जिसे नजिस मिट्टी से तैयार किया गया हो या जिस में नजिस पानी चला गया हो, कुर या जारी पानी में डाल दिया जाये तो बरतन में जहाँ जहाँ पानी पहुँच जायेगा वह पाक हो जायेगा और अगर इस बरतन के अन्दरूनी हिस्से को भी पाक करना मक़सद हो तो उसे कुर या जारी पानी में इतनी देर तक डाले रखना चाहिए कि पानी बरतन के अन्दर तमाम जगहों पर पहुँच जाये। उसके अन्दरूनी हिस्से में सिर्फ़ नमी का पहुँच जाना ही काफ़ी नही है।

(म.न. 161) नजिस बरतन को क़लील पानी से दो तरह पाक किया जा सकता है।

1- उस बरतन को तीन बार भर कर ख़ाली किया जाये।

2- उस बरतन के अन्दर थोड़ा पानी डालकर इस तरह घुमाया जाये कि पानी हर जगह पहुँच जाये फिर उस पानी को बाहर फेंक दिया जाये। उस बरतन को इस तरह तीन बार धोया जाये।

(म.न. 162) अगर एक बड़ा बरतन मसलन पतीला या मटका नजिस हो जाये तो तीन बार पानी से भरने और हर बार ख़ाली करने के बाद पाक हो जाता है। इसी तरह अगर उसमें तीन बार ऊपर से इस तरह पानी डालें कि बर्तन के अन्दर सब जगह पहुँच जाये और हर बार इसकी तली में इकठ्ठा होने वाले पानी को बाहर निकाल दें तो बरतन पाक हो जायेगा। जिस बरतन के ज़रिए पानी बाहर निकाला जाये हर बार उसे भी धोना चाहिए।

(163) अगर किसी नजिस चीज़ से ऐने निजासत दूर करने के बाद कुर या जारी पानी में एक बार इस तरह डुबो दिया जाये कि पानी इसके तमाम नजिस मक़ामात तक पहुँच जाये तो वह चीज़ पाक हो जायेगी और एहतियाते वाजिब यह है कि क़ालीन या दरी और लिबास वग़ैरा को पाक करने के लिए उसे इस तरह निचौड़ा या हिलाया जाये कि उसके अन्दर का पानी निकल जाये।

(164) अगर किसी ऐसी चीज़ को जो पेशाब से नजिस हो गई हो क़लील पानी से पाक करना हो तो उस पर एक बार इस तरह पानी डालें कि पेशाब उस चाज़ में बाक़ी न रहे इसके बाद उस पर दोबारा पानी डाला जाये तो वह चीज़ पाक हो जायेगी। लेकिन लिबास, क़ालीन, दरी और उन से मिलती जुलती चीजों को पानी डालने के बाद हर बार निचौड़ना चाहिए ताकि उनसे ग़साला निकल जाये। ग़साला उस पानी को कहते हैं जो किसी धोई जाने वाली चीज़ से धुलने के दौरान या धुल जाने के बाद ख़ुद बखुद या निचौड़ने पर निकलता है।

(165) जो चीज़ ऐसे शीरख़ार लड़के के पेशाब से नजिस हुई हो जो अभी दो साल का न हुआ हो और जिसने दूध के अलावा कोई ग़िज़ा खाना शुरू न की हो और उसने सूरी का दूध भी न पिया हो तो अगर उस पर एक बार इस तरह पानी डाला जाये कि तमाम नजिस मक़ामात पर पहुँच जाये, तो वह चीज़ पाक हो जायेगी। लेकिन अहतियाते मुस्तहब यह है कि उस पर दोबारा भी पानी डाला जाये, क़ालीन और दरी वग़ैरा को निचौड़ना ज़रूरी नहीं।

(166) अगर कोई चीज़ पेशाब के अलावा किसी दूसरी निजासत से नजिस हो जाये तो, उसे पाक करने के लिए पहले उससे निजासत को दूर किया जाये बाद में उस पर एक बार क़लील पानी डाला जाये, जब वह पानी बह जाये तो वह चीज़ पाक हो जायेगी और अगर पहली बार पानी डालने से उससे ऐने निजासत साफ़ हो जाये तो तब भी वह चीज़ पाक हो जायेगी।अलबत्ता लिबास और उससे मिलती जुलती चीज़ों को निचोड़ लेना चाहिए ताकि उसका धोवन निकल जाये।

(167) अगर किसी ऐसी नजिस चटाई को जो धागों से बनी हुई हो कुर या जारी पानी में डुबो दिया जाये तो ऐन निजासत दूर होने को बाद वह पाक हो जायेगी।

(168) अगर गंदुम, चावल, साबुन वग़ैरा का ऊपरी हिस्सा नजिस हो जाये तो वह कुर या जारी पानी में डुबोने से पाक हो जायेगा, लेकिन अगर उनका अन्दरूनी हिस्सा नजिस हो जाये तो वह पाक नही होगा।

(169) अगर किसी इंसान को इस बारे में शक हो कि नजिस पानी साबुन के अन्दुरूनी हिस्से तक पहुँचा है या नहीं तो वह हिस्सा पाक होगा।

(170) अगर चावल या गोशत या ऐसी ही किसी चीज़ का ज़ाहरी हिस्सा नजिस हो जाये, तो उसे किसी पाक बर्तन में रख़कर उसमें तीन बार पानी डाल कर हर बार खली करने से वह चीज़ और बर्तन दोनों पाक हो जायेगें। लेकिन अगर लिबास या किसी दूसरी ऐसी चीज़ को बर्तन में डाल कर पाक करना हो, जिसका निचोड़ना लाज़िम है, तो जितनी बार उस पर पानी डाला जाये उतनी ही बार उसे निचोड़ना भी जाये और निचोड़ने पर जो पानी निकले उसे बाहर फ़ेंक दिया जाये।

(171) अगर किसी ऐसे नजिस लिबास को जिसे नील या उस जैसी किसी चीज़ से रंगा गया हो, कुर या जारी पानी में डुबो दिया जाये और कपड़े में सब ज़गह पानी पहुँच जाये तो वह लिबास पाक हो जायेगा चाहे निचोड़ने पर उससे मुज़ाफ़ या रंगीन पानी ही क्यों न निकले।

(172) अगर कपड़े को कुर या जारी पानी में पाक किया जाये और कपड़े में काई वग़ैरा नज़र आये तो अगर यह एहतेमाल न हो कि यह कपड़े के अंदर पानी के पहुँचने में रुकावट बनी है तो वह कपड़ा पाक है।

(173) अगर कपड़े या उससे मिलती जुलती चीज़ को पाक किया जाये और बाद में उस पर मामूलीसा गारा या कोई दूसरी चीज़ नज़र आये तो अगर वह कपड़े तक पानी के पहुँचने में रुकावट न बनी हो तो वह पाक है। लेकिन अगर नजिस पानी गारे के या दूसरी चीज़ के अन्दरूनी हिस्से में पहुँच गया है तो उनका बाहरी हिस्सा पाक और अन्दरूनी हिस्सा नजिस होगा।

(174) जब तक ऐने निजासत किसी चीज़ से अलग न हो वह पाक नही होगी लेकिन अगर निजासत का रंग या बू उसमें बाक़ी रह जाये तो कोई हरज नहीं। लिहाज़ा अगर ख़ून लगे कपड़े से ख़ून को साफ़ कर उसे पाक कर लिया जाये और उस पर ख़ून का रंग बाक़ी रह जाये तो वह पाक होगा। लेकिन अगर बू या रंग की वजह से यह यक़ीन या एहतेमाल पैदा हो कि निजासत के ज़र्रे उसमें बाक़ी रह गये हैं तो वह नजिस माना जायेगा।

(175) अगर कुर या जारी पानी में बदन से निजासत दूर कर ली जाये, तो बदन पाक हो जाता है और पानी से बाहर निकल आने के बाद दोबारा उसमें दाख़िल होना ज़रूरी नहीं है।

(176) अगर मुँह के अन्दर ऐने निजासत मसलन ख़ून निकल आये तो उससे मिल कर मुँह के अन्दर मौजूद ग़िज़ा, थूक, नक़ली दाँत और मिसवाक वगैरह नजिस नही होंगे, बल्कि ऐने निजासत के ख़त्म हो जाने के बाद ग़िज़ा और दाँत ख़ुद पाक हो जाते है उन्हें पाक करने की ज़रूरत नही है।

(177) अगर सिर व सूरत के बालों को क़लील पानी से पाक किया जाये तो उनको निचोड़ना ज़रूरी है ताकि उनमें मौजूद पानी निकल जाये लेकिन अगर बाल छोटे हों और यह इत्मिनान हो कि बग़ैर निचोड़े ही उनका पानी खुद बह जयेगा तो इस सूरत में उनका निचोड़ना ज़रूरी नही है।

(178) अगर बदन या लिबास का कोई हिस्सा क़लील पानी से पाक किया जाये तो नजिस मक़ाम के पाक होने से उस मक़ाम से मुत्तसिल वह ज़गहें भी पाक हो जायेंगी जिन तक आम तौर पर धोते वक़्त पानी पहुँच जाता है। इसी तरह अगर एक पाक चीज़ को किसी नजिस चीज़ के बराबर रख दिया जाये और दोनों पर पानी डाला जाये तो उस का भी यही हुक्म है। मसलन अगर एक नजिस उंगली को पाक करने के लिए सब उंगलियों पर पानी डालें और नजिस पानी सब उंगलियों तक पहुँच जाये तो नजिस उंगली के पाक होने के साथ साथ तमाम उंगलियां पाक हो जायेगीं।

(179) अगर गोश्त या चिकनाई नजिस हो जाये तो उन्हें आम चीज़ों की तरह ही पाक किया जायेगा और उस लिबास को भी इसी तरह पाक किया जायेगा जिस पर थोड़ी सी चर्बी लगी हो और वह कपड़े तक पानी पहुँचने में रुकावट न हो।

(180) अगर बर्तन या बदन नजिस होने के बाद इतना चिकना हो जाये कि उस तक पानी न पहुँच सके और बर्तन या बदन को पाक करना हो, तो उन्हे पाक करने से पहले, उनसे चिकनाई दूर करनी चाहिए ताकि उन तक पानी पहुँच सके।

(181) वह नजिस चीज़ जिसमें ऐने निजासत मौजूद न हो, अगर उसे उस टंकी के पानी से धोया जाये जो कुर पानी से मुत्तसिल हो, तो वह एक बार धोने से पाक हो जायेगी और अगर उसमें ऐने निजासत मौजूद हो लेकिन वह उस पानी से धुलने की वजह से उस चीज़ से अलग हो जाये और उस चीज़ से दपकने वाले पानी में निजासत का रंग, बू या मज़ा न हो, तो वह चीज़ तब भी एक दफ़ा धोने से ही पाक हो जायेगी। लेकिन अगर उससे टपकने वाले पानी में निजासत का रंग, बू या मज़ा मौजूद हो तो उस चीज़ को पानी से इतना धोना चाहिए कि उससे चपकने वाले पानी में निजासत का रंग, बू या मज़ा बाक़ी न रहे।

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