605. नमाज़े मैयित में कुछ चीज़ें मुस्तहब है। जैसे------
1. नमाज़े मैयित पढ़ने वाले को वुज़ू, ग़ुस्ल या तयम्मुम करना चाहिए और एहतियात मुस्तहब यह है कि तयम्मुम उस वक़्त करना चाहिए जब वुज़ू या ग़ुस्ल करना मुमकिन न हो, या डर हो कि अगर वुज़ू या ग़ुस्ल किया तो नमाज़ में शरीक न हो सकेगा।
2. अगर मैयित मर्द की हो तो इमाम या तन्हा नमाज़ पढ़ने वाले को मैयित के शिकम के सामने खड़ा होना चाहिए और अगर मैयित औरत की हो तो उसके सीने के सामने खड़ा होना चाहिए।
3. नमाज़ नंगे पैर पढ़नी चाहिए।
4. हर तकबीर कहते वक़्त हाथों को उठाना चाहिए।
5. नमाज़ पढ़ने वाले और मैयित के दरमियान इतना कम फ़ासला होना चाहिए कि अगर हवा चले तो नमाज़ पढ़ने वाले का लिबास मैयित से छू जाये।
6. नमाज़े मैयित जमाअत के साथ पढ़ी जाये।
7. इमामे जमाअत तकबीरें और दुआएं ऊँची आवाज़ में पढ़े और मुक़तदी लोग उनको आहिस्ता आहिस्ता पढ़ें।
8. अगर नमाज़ जमाअत के साथ पढ़ी जा रही हो तो चाहे मुक़तदी एक ही इंसान हो उसे इमाम के पीछे खड़ा होना चाहिए।
9. नमाज़ पढ़ने वाले को मैयित और मोमेनीन के लिए बहुत ज़्यादा दुआएं करनी चाहिए।
10. नमाज़ से पहले तीन बार अस्सलात कहना चाहिए।
11. नमाज़े मैयित ऐसी जगह पर पढ़नी चाहिए जहाँ ज़्यादा से ज़्यादा लोग शरीक हो सकते हों।
12. अगर कोई हाइज़ औरत नमाज़े जनाज़ा पढ़ना चाहे तो उसे सफ़ में तन्हा खड़ा होना चाहिए।
606. नमाज़े मैयित मस्जिदों में पढ़ना मकरूह है, लेकिन मस्जिदुल हराम में पढ़ना मकरूह नही है।