740. सुबह की अज़ान के क़रीब पूरब की तरफ़ से एक सफ़ेदी ऊपर उठती है, उस वक़्त को फ़जरे अव्वल कहा जाता है और जब यह सफ़ेदी पूरब में उफ़क़ पर फैल जाती है तो उस वक़्त को फ़जरे दोवुम कहा जाता है और यही सुबह की नमाज़ का अव्वले वक़्त है। सुबह की नमाज़ का आख़री वक़्त सूरज निकलने तक है।