बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इराक़ की वह मज़लूम जनता जो कई दशको से ज़ालिम सद्दाम के चुंगल में फँसी हुई थी, और
जिसने एक बड़ी मात्रा में रूहानी व ग़ैरो रूहानी लोगों की क़ुर्बानी दी है, वह एक
बार फिर शैताने बुज़ुर्ग ज़ालिम अमरीका व उसके पक्षधरों के जाल में फँस गयी है।
अमरीका की ज़ालिम फ़ौज इस देश की जनता और धार्मिक स्थलों का कोई लिहाज़ नही कर रही
है, उसके ज़ुल्म हर रोज़ बढ़ते ही जा रहे हैं। अब उन्होनें बेशर्मी के साथ मुक़द्दस
(पवित्र) शहर नजफ़ का भी घेराव कर लिया है। नजफ़ वह मुक़द्दस शहर है जिसमें शियों
के पहले इमाम हज़रत अली इब्ने अबी तालिब अलैहिमास्सलाम का रोज़ा है। यह शहर लग भग
एक हज़ार साल से पूरी दुनिया के शियों का शैक्षिक व धार्मिक केन्द्र है। अतः अगर
अमरीका ने इस शहर से अपना फ़ौजी घेरा न उठाया या कोई मूर्खता पूर्ण कार्य किया, तो
उसे पूरी दुनिया के शियों का सामना करना पड़ेगा। इस स्थिति में आवश्यक्ता पड़ने पर
पूरी दुनिया के होज़े इल्मिया व विशेष रूप से होज़े इल्मिया क़ुम के मराज-ए- कराम
अपने आख़री हरबे को अपनायेंगे और पूरी दुनिया के शियों को अमरीका के मुक़ाबले में
ला खड़ा करेंगे। यह भविष्यवाणी करना बहुत कठिन है कि ऐसा करने पर स्थिति क्या होगी
और दुनिया में क्या परिवर्तन आयेंगे।
अब इराक़ की जनता के लिए आवश्यक है कि वह एक हो कर, होज़े इल्मिया नजफ़ के
मरजा-ए-आली क़द्र, जो कि वहाँ रह कर स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं, उनके आदेशानुसार
कार्य करें। इराक़ की जनता को यह भी समझ लेना चाहिए कि इस समय शियों के तमाम
मराज-ए-कराम का यही नज़रिया है। इराक़ की जनता को चाहिए कि दुश्मनों को देश से बाहर
निकालने के लिए भर्सक प्रयास करें, क्योँकि इराक़ की वर्तमान मुश्किल का सिर्फ़ यही
एक हल है। इराक़ की जनता को चाहिए कि वह अपने देश की तक़दीर को अपने हाथों से लिखें
और पूरी जनता एक दूसरे की सहायता से वीरानी को आबादी में बदल कर इस्लाम की अज़मत व
महानता को फिर से स्थापित करें। इंशाल्लाह।