इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन। हम सब अल्लाह के लिए हैं और हमें उसी की ओर पलट कर जाना है।
हमास के रूहानी पेशवा शेख़ अहमद यासीन और कुछ अन्य नमाज़ियों की शहादत की ख़बर सुन कर आज पूरे इस्लामी व अन्तर्राष्ट्रीय समाज में बहुत अधिक ग़मो ग़ुस्सा पैदा हुआ है। इस हादसे ने आम तौर पर तमाम मुस्लमानों को और ख़सूसी तौर पर फ़िलिस्तीन के ग़ैरतमन्द मुजाहिद मुसलमानों को सौगवार बना दिया है। लेकिन इस साज़िश के रचने वालों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि इस प्रक्रिया का नतीजा, एक उच्च व्यक्तित्व को समाप्त कर के सफ़लता प्राप्त कर लेना नही है। बल्कि इतिहास इस बात का गवाह है कि इस प्रकार की शहादतों ने हमेशा अन्य लोगों के जज़बात को भड़काया है और आन्दोलन को तीव्रता प्रदान कर के सफलता की ओर अग्रसर किया है। क्या शारून के मार्ग दर्शन में इस महान व्यक्ति की शहादत इस्राईल की हुकूमत के टरूरिज़्म स्वभव को साबित नही करती है? अल्लाह का शुक्र है कि इस प्रकार की घटनाओं से, इस्राईल का भद्दा चेहरा समस्त मुसलमानों के सामने खुल कर आ रहा है। इन घटनाओं से हर इंसान इस नतीजे पर पहुँच रहा है कि इस्राईल वास्तव में इस्लाम व मुसलमानों का दुश्मन है और इस राष्ट्र की स्थापना ही इस्लाम व मुसलमानों से लड़ने के उद्देश्य से की गयी है। अमेरीका व इस्राईल को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि इस प्रकार की घटनायें इस्राईल के विरुद्द लड़ने के लिए, मुसलमानों में अधिक जोश व जज़बा पैदा कर रही हैं और यह घटनायें फ़िलिस्तीनियों के आन्दोलन को और अधिक तीव्रता व बल प्रदान कर रही हैं। इस दुःखद घटना पर मैं तमाम मुसलमानों, फ़िलिस्तीन के आन्दोलनकारियों व इस शहीद के आदरनीय परिवार को सांत्वना देने के साथ साथ मुबारकबाद भी पेश करता हूँ और अल्लाह से इस्राईल के पूर्ण रूप से विनाश की दुआ करता हूँ।
मुहम्मद फ़ाज़िल लंकरानी