एहतराम के साथ आपकी ख़िदमत में अर्ज़ है कि आज यूरोप में दीन व मज़हब मख़सूसन दीने इस्लाम के ख़िलाफ़ जो तहरीक शुरू हुई है, जिसमें फ़्राँस की हुकूमत सबसे आगे है।
इन्होंने मज़हबी इफ़रात से मुक़ाबला करने के बहाने तमाम मज़ाहिरे मज़हबी को निशाना बनाया है, जिसमें से एक हिजाब भी है जो इस्लाम की ज़रूरियात में से है। यह लोग स्कूलों में हिजाब पर पाबन्दी का नक्शा बना कर दीन को मिटाने की फ़िक्र में हैं।
इस हालत में यहाँ रह रहे मुसलमान मर्दों व औरतों की क्या ज़िम्मेदारियाँ है ?
ख़ुदा वन्दे आलम आपके साये को हमारे सरों पर हमेशा बाक़ी रखे।
यूरोप में रहने वाले कुछ मुसलमान
बिस्मिहि तआला
इस्लामी अहकाम की रिआयत व मज़ाहिरे दीनी की हिफ़ाज़त उन उमूर में से हैं जिनके
लाज़िम होने में को तरदीद नही है। हिजाब ज़रूरयाते दीन में से है और औरतों पर इसकी
रिआयत हर हालत में लाज़िम है। आम मुसलमानों पर भी लाज़िम है कि वह शरीयत के अहकाम
की इजरा के लिहाज़ से हिफ़ाज़त करें और अगर कोई गिरोह या हुकूमत इनको मिटाने की
कोशिश करे तो उसकी मुख़ालेफ़त करना वाजिब है। तमाम इस्लामी हुकूमतों मखसूसन जमहूरी
इस्लामी ईरान की हुकूमत से यह उम्मीद की जाती है कि वह दुनिया के हर कोने में
मुसलमानों के उसूल से दिफ़ा करे और इस मस्ले में भी कोई फ़र्क़ न बरतें।
यूरोप जो अपने आपको तहज़ीबो तमद्दुन, आज़ादी व डैमोक्रेसी का गहवारा समझता है और
जिसने आज के दौर में अपने आपको हुक़ूक़े बशर का मुतवल्ली बना लिया, वह इस अक़ली हक़
की - यानी हर इंसान अपने दीन के अहकाम पर अमल कर सकता है - क्योँ मुखालेफ़त कर रहा
है? वह गुज़रे हुए ज़माने की तरफ़ क्योँ पलट रहा है ? दीन से जंग के मैदान में जब
वह कई बार हार चुका है तो इस जंग को फिर क्योँ शुरू कर रहा है? उन लोगों को यह
अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि वह इसमें हर गिज़ कामयाब नही हो सकते। तमाम मुसलमानों
और मज़हबी गिरोहों पर लाज़िम है कि अपनी ताक़त के मुताबिक़ अपनी दीनी इज़्ज़त,
शराफ़त, हैसियत और इलाही अहकाम व हुदूद की हिफ़ाज़त करें और जान लें कि अगर तुम
अल्लाह की मदद करोगे तो वह तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हारे कदमों को सिबात अता
करेगा।
मुम्मद फ़ाज़िल लंकरानी 22/12/2003