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3) पेशाब पखाने के साथ ख़ून जैसी कोई निजासत बाहर न आयी हो।
4) पाख़ाने के ज़र्रे पानी में मौजूद न हों।
5) आम तौर से बदन का जितना हिस्सा पेशाब या पाख़ाने में सनता है, उससे ज़्यादा हिस्से पर निजासत न फैली हो।
33 जारी पानी, उस पानी को कहते हैं जो ज़मीन से जोश मार कर निकले और बहने लगे जैसे चश्मे का पानी।
34 अगर जारी पानी, कुर से कम भी हो, तब भी वह निजासत से मिलने पर उस वक़्त तक नजिस नही होगा जब तक निजासत से उसका रंग बू या ज़ायक़ा न बदल जाये।
35 अगर कोई निजासत, जारी पानी के एक हिस्से के रंग, बू या ज़ायक़े को बदल दे, तो जारी पानी का सिर्फ़ वही हिस्सा नजिस होगा, और वह हिस्सा जो चश्मे से मुत्तसिल है चाहे कुर से कम ही क्योँ न हो पाक है। लेकिन वह हिस्सा जो साफ़ पानी के ज़रिये चश्मे की तरफ़ मुत्तसिल न हो अगर कुर के बराबर हैं तो पाक हैं और अगर कुर से कम है तो नजिस हैं।
36 ऐसे चश्मे का पानी, जिससे पानी न बहता हो, लेकिन जब उससे पानी निकाल लिया जाता हो तो फिर जोश मारने लगता हो, जारी पानी के हुक्म में है। यानी वह निजासत से मिलने पर उस वक़्त तक नजिस नही होगा जब तक निजासत से उसका रंग, बू या ज़ायक़ा न बदल जाये।
37 ऐसा पानी जो नहर के किनारों पर ठहरा हो और नहर के पानी से मिला हो, जारी पानी के हुक्म में है। यानी निजासत से मिलने पर उस वक़्त तक नजिस नही होगा, जब तक निजासत से उसका रंग, बू या ज़ायक़ा न बदल जाये।
38 वह चश्में जो कभी जोश मारने लगते हों और कभी रुक जाते हों मसलन सर्दी में उबल पड़ते हों और गर्मी में रुक जाते हों, तो वह जिस वक़्त उबल रहे हों उस वक़्त जारी पानी के हुक्म में हैं, चाहे उनका पानी कुर से कम ही क्योँ न हो। यानी उनका पानी निजासत से मिलने पर उस वक़्त तक नजिस नही होगा जब तक निजासत से उसका रंग, बू या ज़ायक़ा न बदल जाये।
39 ग़ुस्ल खानों में पाईप के ज़रिये पहुँचने वाला पानी, अगर कुर पानी से मिला हो तो वह जारी पानी के हुक्म में है। यानी निजासत से मिलने पर उस वक़्त तक नजिस नही होगा, जब तक निजासत से उसका रंग, बू या ज़ायक़ा न बदल जाये।
40 ज़मीन पर बहने वाले उस पानी में, जो ज़मीन से न उबल रहा हो और कुर से कम हो, अगर कोई निजासत गिर जाये, तो वह नजिस हो जायेगा। हाँ अगर वह पानी ऊपर से नीचे की तरफ़ गिर रहा हो और उसका निचला हिस्सा किसी निजासत से मिल रहा हो तो ऊपर वाला हिस्सा नजिस नही होगा।
41 अगर किसी ऐसी नजिस चीज़ पर, जिसमें ऐने निजासत न हो, एक बार बारिश बरस जाये तो जिस जगह वह बारिश का पानी पड़ेगा वह पाक हो जायेगी और क़ालीन व कपड़ों वग़ैरह का निचौड़ना भी ज़रूरी नही है।
42 अगर बारिश किसी ऐने निजासत पर बरसे और उसकी छीँटे दूसरी चीज़ों पर पड़े तो वह पाक है, इस शर्त के साथ कि उन छीँटों में ऐने निजासत के ज़र्रे न हों या उनमें निजासत का रंग, बू या ज़ायक़ा न मिला हो। मसलन अगर बारिश ख़ून पर बरस रही हो और वहाँ से छीँटे उड़ कर दूसरी चीज़ों पर पड़ रही हों, तो अगर उन छीँटों में खून के ज़र्रे मौजूद हों, या उनमें निजासत का रंग, बू या ज़ायक़ा मिला हो तो वह नजिस हैं।
43 अगर मकान की छत पर कोई ऐने निजासत मौजूद हो और बारिश बरस रही हो, तो बारिश के दैरान निजासत को छू कर छत से टपकने या परनाले से गिरने वाला पानी पाक है। लेकिन अगर बारिश रुक जाने के बाद छत पर रुका हुआ पानी निजासत को छू कर नीचे गिरे तो वह नजिस है।
44 अगर नजिस ज़मीन पर, बारिश बरस जाये तो वह पाक हो जाती है। अगर बारिश का पानी गिरने के बाद ज़मीन पर बहने लगे और छत के नीचे उस हिस्से तक पहुँच जाये जो नजिस है तो वह जगह पाक हो जायेगी।
45 अगर नजिस मिट्टी बारिश में भीगने की वजह से गारा बन जाये और बारिश का पानी उसके हर हिस्से में पहुँच जाये तो वह पाक हो जायेगी।
46 अगर बारिश का पानी किसी जगह पर जमा हो जाये, तो चाहे वह कुर से कम ही क्योँ न हो अगर बारिश के दौरान उसमें किसी नजिस चीज़ को धोया जाये और निजासत की वजह से पानी का रंग, बू या ज़ायक़ा न बदले तो वह नजिस चीज़ पाक हो जायेगी।
47 अगर कोई पाक क़ालीन, नजिस ज़मीन पर बिछा हो और उस पर इतनी बारिश बरसे कि पानी क़ालीन के नीचे से ज़मीन पर बहने लगे, तो वह क़ालीन नजिस नही होगा और ज़मीन भी पाक हो जायेगी ।
48 अगर बारिश का पानी या कोई और पानी किसी गढ़े में जमा हो जाये और वह कुर से कम हो, तो अगर बारिश रुकने के बाद उसमें कोई निजासत गिर जाये तो वह नजिस हो जायेगा।
49 कुएं का पानी जो कि ज़मीन से उबलता है, चाहे वह कुर से भी कम हो, अगर उसमें कोई निजासत गिर जाये और निजासत की वजह से उसका रंग, बू या मज़ा न बदले तो वह पाक है। लेकिन मुस्तहब है कि कुछ निजासतों के गिरने के बाद कुएं से कुछ पानी निकाल कर बाहर फेंक देना चाहिए। (इसकी तफ़सील फ़िक़ह की बड़ी किताबों में मौजूद है।)
50 अगर कुएं में, कोई नजिस चीज़ गिर जाये और उसकी वजह से कुएं के पानी का रंग, बू या ज़ायक़ा बदल जाये तो वह पानी उस वक़्त ही पाक होगा, जब कुएं से उबलने वाला नया पानी उसमें घुल मिल जाये और निजासत की वजह से पैदा होने वाला रंग, बू या मज़ा ख़त्म हो जाये।
51 मुज़ाफ़ पानी किसी भी नजिस चीज़ को पाक नही कर सकता। उससे वुज़ू व ग़ुस्ल करना भी सही नही है।
52 अगर मुज़ाफ़ पानी में निजासत का एक ज़र्रा भी गिर जाये तो वह नजिस हो जायेगा। लेकिन अगर मुज़ाफ़ पानी को ऊपर से किसी नजिस चीज़ पर डाला जाये तो जितना हिस्सा नजिस चीज़ से मिलेगा वह नजिस होगा और ऊपर का बाक़ी हिस्सा पाक रहेगा। मसलन अगर गुलाब के पानी को गुलाब दान के ज़रिये नजिस हाथ पर डाला जाये तो जितना पानी हाथ पर पड़ेगा वह नजिस होगा और जो हाथ तक नही पहुँचेगा पाक रहेगा। अगर मुज़ाफ़ पानी फ़व्वारे की तरह नीचे से ऊपर की तरफ़ जा रहा हो और ऊपर जा कर किसी निजासत से मिल रहा हो, तो जितना हिस्सा निजासत से मिलेगा वही नजिस होगा, नीचे का हिस्सा पाक रहेगा।
53 अगर नजिस मुज़ाफ़ पानी, कुर या जारी पानी में इस तरह घुल मिल जाये कि उसे मुज़ाफ़ न कहा जा सके तो वह पाक हो जायेगा।
54 अगर किसी मुतलक़ (ख़ालिस) पानी के बारे में शक करें कि यह मुज़ाफ़ हुआ है या नही, तो वह पानी मुतलक़ ही माना जायेगा। यानी वह नजिस चीज़ों को पाक करेगा और उससे वुज़ू व ग़ुस्ल करना भी सही होगा। इसी तरह अगर किसी मुज़ाफ़ पानी के बारे में शक हो कि यह पानी मुतलक़ हुआ है या नही, तो वह मुज़ाफ़ ही माना जायेगा यानी न वह नजिस चीज़ को पाक कर सकता है और न ही उससे वुज़ू या ग़ुस्ल किया जा सकता है।
55 जिस पानी के बारे में यह मालूम न हो कि यह मुतलक़ है या मुज़ाफ़ और यह भी मालूम न हो कि पहले यह मुतलक़ था या मुज़ाफ़, तो वह नजिस चीज़ को पाक नही कर सकता और उससे वुज़ू व ग़ुस्ल करना भी सही नही है। लेकिन अगर वह कुर या कुर से ज़्यादा हो और कोई निजासत उसमें गिर जाये तो वह नजिस नही होगा।
56 अगर किसी पानी में कोई ऐने निजासत, जैसे पेशाब, ख़ून वग़ैरह गिर जाये, और उसकी वजह से पानी का रंग, बू या ज़ायक़ा बदल जाये, तो वह पानी नजिस हो जायेगा चाहे वह कुर या जारी पानी ही क्यों न हो। लेकिन अगर ऐने निजासत के क़रीब होने की वजह से पानी का रंग, बू या ज़ायक़ा बदल जाये तो वह नजिस नही होगा। मसलन अगर पानी के पास कोई मुर्दा जानवर पड़ा हो और उसकी बदबू पानी में फैल जाये तो वह पानी नजिस नही होगा।
57 अगर पानी में कोई ऐने निजासत, जैसे ख़ून,पेशाब बग़ैरह गिर जाये, और उसकी वजह से उस पानी का रंग, बू या ज़ायक़ा बदल जाये, तो अगर वह पानी कुर या जारी पानी से मिल जाये या उस पर बारिश बरस जाये या हवा से बारिश का पानी उसमें मिल जाये या बारिश के दौरान, बारिश का पानी परनाले से उसमें गिरे और उसकी वजह से उसका निजासत वाला रंग, बू या ज़ायक़ा ख़त्म हो जाये, तो वह पानी पाक हो जायेगा। लेकिन एहतियाते वाजिब यह है कि कुर पानी या जारी पानी या बारिश का पानी उसमें घुल मिल जाये।
58 अगर कोई ऐसी चीज़ नजिस हो जाये जिसको धोने के बाद निचोड़ने की जरूरत न हो, तो अगर उसे पाक करने के लिए कुर या जारी पानी में डुबाया जाये और बाहर निकालने पर उससे पानी टपकने लगे तो वह पानी पाक है। लेकिन वह चीज़ें जिनको कुर या जारी पानी में डुबा कर (एहतियात की बिना पर) निचौड़ना जरूरी है, जैसे कपड़े वग़ैरह तो एहतियात की बिना पर उनसे टपकने वाला पानी नजिस है।
59 जो पानी पहले पाक था और अब उसके बारे में शक है कि नजिस हुआ या नही तो वह पानी पाक है। इसी तरह अगर पानी पहले नजिस था और अब उसके बारे में शक है कि पाक हुआ या नही तो वह पानी नजिस है।
60 कुत्ते, सूअर और काफ़िर की झूठी चीज़ नजिस है और उसका खाना पीना हराम है। जिन जानवरों का गोश्त हराम है उनकी झूठी चीज़ पाक है, लेकिन उसका खाना मकरूह है।
61 हर इंसान पर वाजिब है कि वह पेशाब पाख़ाना करते वक़्त और दूसरी सभी हालतों में अपनी शर्मगाह को दूसरे बालिग़ लोगों से छुपाये, चाहे उसे देखने वाले उसके महरम ही क्योँ न हो जैसे भाई बहन व माँ वग़ैरह। इसी तरह उस समझदार बच्चे व दीवाने से भी अपनी शर्मगाह को छुपाना चाहिए जो अच्छे बुरे को समझता हो। लेकिन शौहर व बीवी का एक दूसरे से अपनी शर्मगाह को छुपाना लाज़िम नही है।
62 शर्मगाह को हर चीज़ से छुपाया जा सकता है यहाँ तक कि अपने हाथों से भी छुपा सकते हैं।
63 पेशाब पाख़ाना करते वक़्त क़िबले की तरफ़ रुख़ या कमर कर के नही बैठना चाहिए।
64 अगर पेशाब पाख़ाना करते वक़्त इंसान का रुख या कमर क़िबले की तरफ़ हो, और वह अपनी शर्मगाह को क़िबले की तरफ़ से मोड़ ले तो यह काफ़ी नही है। अलबत्ता अगर रुख या कमर क़िबले की तरफ़ न हो तो एहतियाते वाजिब यह है कि अपनी शर्मगाह को क़िबले की तरफ़ न मोड़े।
65 अगर पेशाब व पाख़ाने की जगह को धोते वक़्त या इस्तबरा करते वक़्त, क़िबले की तरफ़ रुख़ या कमर हो तो इसमें कोई हरज नही है। लेकिन एहतियाते मुस्तहब यह है कि इन हालतों में भी रुख या कमर क़िबले की तरफ़ न हो।
66 अगर अपनी शर्मगाह को नामहरमों से छुपाने के लिए कोई इंसान क़िबले की तरफ़ रुख़ या कमर कर के बैठने पर मजबूर हो तो इसमें कोई हरज नही है। अगर किसी और मजबूरी की वजह से भी इसी तरह बैठना पड़े तो कोई हरज नही है।
67 एहतियाते वाजिब यह है कि बच्चे को पेशाब पाख़ाना कराने के लिए क़िबले की तरफ़ रुख़ या कमर कर के न बैठाया जाये, लेकिन अगर बच्चा ख़ुद बैठ जाये तो उसे रोकना वाजिब नही है।
68 चार जगहों पर पेशाब पाख़ाना करना हराम है।
1) बंद गलियों में जबकि उनमें रहने वाले वहाँ पेशाब पाख़ाना करने से राज़ी न हों।
2) उस ज़मीन पर, जिसका मालिक उस पर पेशाब पाख़ाना करने से राज़ी न हो।
3) उस जगह पर, जो एक ख़ास गिरोह के लिए वक़्फ़ हो। जैसे बाज़ मदरसे केवल तालिबे इल्मों के लिए मखसूस है।
4) मोमेनीन की कब्रों पर जबकि उनकी तौहीन का सबब हो।
69 पेशाब का मक़ाम पानी के अलावा किसी दूसरी चीज़ से पाक नही होता। अगर पेशाब करने के बाद, पेशाब के मक़ाम को एक बार धो लिया जाये तो काफ़ी है, लेकिन एहतियाते मुस्तहब यह है कि दो बार धोया जाये। जिन लोगों को पेशाब तबिई (प्राकृतिक) रास्ते से न आकर किसी दूसरे रास्ते से आता हो उनके लिए ज़रूरी है कि वह उस जगह को दो बार धोयें।
70 अगर पाख़ाने के मक़ाम को पानी से धोया जाये तो उस पर पाख़ाने का कोई ज़र्रा बाक़ी नही रहना चाहिए। लेकिन अगर पाख़ाने का रंग या बू बाक़ी रह जाये तो इसमें कोई हरज नही है। अगर पहली बार ही इस तरह धुल जाये कि उस जगह पर पाख़ाने का कोई जर्रा बाक़ी न रहे तो दोबारा धोने की ज़रूरत नही है।
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